बांग्लादेश सेना में भी फूट, हसीना समर्थक और कट्टरपंथी आमने-सामने

Jan 16, 2025 - 22:00
Jan 16, 2025 - 22:19
बांग्लादेश सेना में भी फूट, हसीना समर्थक और कट्टरपंथी आमने-सामने

ढाका. बांग्लादेश में अब सेना भी बंटती दिख रही है। अवामी लीग समर्थक और इस्लामिक खेमों के बीच सत्ता संघर्ष अब सेना को भी चपेट में ले रहा है।

इसके संकेत उसी समय मिल गए थे जब पिछले दिनों सेनाध्यक्ष वकार-उज-जमान ने स्पष्ट रूप से कहा था कि सेना को राष्ट्रपति के अधीन होना चाहिए, न कि मुख्य सलाहकार के अधीन। गौरतलब है कि बांग्लादेश में पिछले दिनों राष्ट्रपति मोहम्मद शाहबुद्दीन को हटाने की मांग ने उस समय जोर पकड़ा था जबकि सेनाध्यक्ष जमान देश से बाहर थे।

 शहबुद्दीन उस समय भी चर्चा में आए थे जबकि उन्होंने कहा था कि उनके पास शेख हसीना के पीएम पद से इस्तीफा देने के कोई सबूत नहीं हैं। राष्ट्रपति के इस बयान के स्पष्ट तौर मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस से उनके मतभेद और उनकी सत्ता की वैधता पर सवाल के रूप में देखा गया था। अब संकेत हैं सेना भी शेख हसीना और मुहम्मद यूनुस को समर्थन देने पर बंट गई है।

सेना में भी तीन पावर सेंटर

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सेना के अंदर विभाजन गहरा गया है और तीन पावर सेंटर बन रहे हैं। इनमें से प्रत्येक केंद्र का नेतृत्व एक जनरल कर सकता है। वर्तमान सेना प्रमुख वकार-उज-जमान फिलहाल मध्यमार्गी बने हुए हैं और अभी उनका सेना पर नियंत्रण है। लेकिन सेना के अंदर जिस तरह से दो अन्य पावर सेंटर उभरे हैं, उससे हालात कभी भी बिगड़ सकते हैं।

हक को माना जाता हसीना समर्थक

इसमें सत्ता के एक केंद्र का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद शाहीनुल हक कर रहे हैं। उन्हें बांग्लादेश सेना की नौंवी डिवीजन के अवामी लीग समर्थक मेजर जनरल मोहम्मद मोइन खान का समर्थन प्राप्त है,

इस्लामिक कट्टरपंथियों के साथ रहमान

दूसरे गुट की अगुवाई लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान कर रहे हैं। वे हिजबुत तहरीर से जुड़े मोहम्मद यूनुस के सलाहकार महफूज आलम समेत छात्र नेताओं के संपर्क में हैं। वे पहले सेना की सैन्य खुफिया एजेंसी के प्रमुख भी रह चुके हैं।